Kabir Das ka Jivan Parichay | Kabir Das Biography in Hindi

Kabir das
Kabir Das

कबीर दास का जीवन परिचय

कबीर दास एक 15वीं सदी के भारतीय कवि, संत और महात्मा थे जो वाराणसी, भारत में जन्मे थे। वह उत्तर भारत की भक्ति आंदोलन में सबसे प्रभावशाली व्यक्तियों में से एक माने जाते हैं।कबीर के माता-पिता मुस्लिम थे और वह बुनकरों के परिवार में पल बड़े हुए थे। अपने परिवार के व्यवसाय के बावजूद, कबीर वस्तुतः आध्यात्मिक पुरुष थे जो ध्यान, तपस्या और धर्म के कार्यों में लगे रहते थे। वह हिंदू संत रामानंद और सूफी संत शेख ताकी के उपदेशों से प्रभावित हुए थे और अंत में दोनों के शिष्य बन गए।

कबीर की कविताओं और दोहों में वह धार्मिक उन्नति, संवेदनशीलता और सामाजिक समरसता को बताते हैं। उनकी रचनाओं में भक्ति, गुरु-शिष्य परंपरा, मानवता और आत्म-ज्ञान जैसे विषयों पर गहरी चिंतन विचार किया गया है। उनकी कविताओं ने धर्मीय स्थानों से नहीं बल्कि आम लोगों के बीच धर्म की बात की।कबीर एक महान संत थे जो अपनी कविताओं और दोहों के माध्यम से लोगों को उनकी आत्मा की खोज करने और उस दिशा में आगे बढ़ने की प्रेरणा देते थे। उनके दोहे और बाणियों में सामाजिक अन्याय और दलितों के प्रति उनकी भावनाओं का भी व्यक्तिगत अनुभव किया गया है।

उनकी मृत्यु 1518 में हुई।कबीर का जीवन एक आदर्श है जो आध्यात्मिक उन्नति और मानवीय समरसता के लिए एक संदेश बनता है। आज भी, उनकी कविताओं का प्रभाव समाज के विभिन्न वर्गों में नजर आता है और उनके संदेश न्यूनतम शब्दों में आम लोगों के दिल में बसे हैं।कबीर दास के जीवन पर बहुत सी किताबें और शोध पत्र लिखे गए हैं। उन्होंने अपने जीवन के दौरान अनेक संघर्षों का सामना किया, लेकिन उनका आदर्श और जीवनशैली उन्हें हमेशा सफल बनाता रहा।

उन्होंने अपने जीवन में बहुत से महान प्रवचन दिए और उनके संदेशों को आज भी मानवता के लिए अनमोल माना जाता है।कबीर दास का जीवन एक उदाहरण है जो हमें धर्म और मानवता के बीच संतुलन बनाना सिखाता है। उनकी कविताओं में सबकुछ है, जो एक महान धर्म गुरु से उम्मीद की जा सकती है। उनके द्वारा दिए गए संदेश आज भी हमारी सोच और व्यवहार में गहरी छाप छोड़ते हैं और हमें सभी धर्मों के समान मूल्यों की ओर ले जाते हैं।

Kabir Das ke Dohe | Kabir Das ji ke Dohe

कबीर दास के दोहे उनकी अनमोल कविताओं में से कुछ हैं जो हमें अपने जीवन में सफलता और संतुष्टि का मार्ग दिखाते हैं। यहाँ कुछ प्रसिद्ध कबीर दास के दोहे हैं:

“जो तुम करोगे आज, कल तुम्हें मिलेगा फल।करो जीवन संघर्ष सदा यही है संग्राम का खेल॥””

माया मरी ना मन मरा, मर मर गई शरीर।ताको भगत न कोई, सैन भगति बिछोहिं भीर॥”

“बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय।जो मन खोजा अपना, तो मुझसे बुरा न कोय॥”

“साधु ऐसा चाहिए, जैसा सूप सुखाए।सुख दुख दो एक समाने, जाति न पूछो कोई॥”

“पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुआ, पंडित भया न कोय।ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय॥”

“दुःख में सुमिरन सब करे, सुख में करे न कोय।सुख में सुमिरन जरूर करे, दुःख काले करे रोय।।”

“मोती होत तो माला बनाती, चिंटी होत तो गुड़ाखोर।अपने मन को तुम पड़ा रखो, ताको कुछ न होय दुखाय।।”

“जो तोले तिनका कोई नहीं, जो तोले मन महीं।मन तो तजे सब भाँति, फिरे मदमती कहीं।।”

“गुरु गोविन्द दोऊ खड़े, काके लागूं पांय।बलिहारी गुरु आपने, गोविन्द दियो मिलाय।।”

ये कुछ अन्य कबीर दास के दोहे हैं जो जीवन के विभिन्न पहलुओं पर विचार करने के लिए प्रेरित करते हैं। उन्होंने जीवन की सच्चाई को जीने का मार्ग दिखाया है और हमें समाज के बीच समन्वय और एकता का संदेश दिया है।

Kabir Das ke Dohe in Hindi | Kabir Das Dohe

इस जग में दो तरह के लोग होते हैं, एक तो समुद्र से निकले हुए मछलियां जो सभी को खाते हैं और दूसरे छोटे जल से जुड़े तालाबों में रहते हैं, जो शुद्धता की ओर ध्यान देते हैं।-कबीर

दुखी होयो न जीवन त नाम, रती रती करते ताम।-कबीर

पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुआ, पंडित भया न कोय।ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय।-कबीर

जो तुमको दुख दे, मैं नहीं सोचता,जो मैंको दुख दे, तुम नहीं सोचते,जो दुख दोनों को दे, वो बाबा समझों ही नहीं।-कबीर

जाति न पूछो साधु की, पूछ लीजिए ज्ञान,मोल करो तलवार की, पड़ा रहन दो म्यान।-कबीर

दिन के तीन पहर भई, अधी राती अधी,तेल परिवत गोला चढ़ा, आपे जल न जुगाधी।-कबीर

जो आप देखते हैं, सोई सच है, जो मैं देखता हूँ, सोई बात।-कबीर

सुनी हो मधुर आवाज़ देखी हो सुंदर नैन,जो ये सब दुख देते हैं, सो मोहि कल्याण करैं।-कबीर

हँसत हुए जो देखे कोई, सीत बहुत होय,ताके ताके मोह बाँधे, ताते काम न रोय।-कबीर

पंथी खरे तो सब लोट हैं, जीते सिर उपर होय।मत उचके उचक निचके, दौड़त रहे तबुढ़ा बापा न बीच मैं, सब लोग बहुत होय।ताते सब बोलत हैं, माते कोय न बोले।-कबीर

जब मैं था तब हरि नहीं, अब हरि हैं मैं नाहीं,सब अंग हरि तेरा तारा, नहीं कोई दूजा आरा।-कबीर

Kabir Das ki Rachnaye

कबीर दास एक महान संत-कवि थे, जिनकी रचनाएं हिंदी साहित्य के इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं। उनकी रचनाओं में उन्होंने समाज में उठी समस्याओं को बताया और लोगों को उनके समाधान ढूंढने के लिए प्रेरित किया। कुछ उनकी महत्त्वपूर्ण रचनाएं निम्नलिखित हैं:

दोहे: कबीर दास के दोहे बेहद प्रसिद्ध हैं। उनके दोहों में वे संसार की माया, धर्म, जीवन के मूल्य आदि पर चिंतन करते हैं।

बीजक: इसमें कबीर ने दर्दनाक घटनाओं का वर्णन किया है जो समाज में व्याप्त होती हैं। यह उनकी सोच और लेखन की रूपरेखा में एक महत्वपूर्ण रचना है।

सखी: इसमें कबीर ने भक्ति के रंग में अपनी जीवन की कुछ घटनाओं को वर्णित किया है। यह रचना भक्ति और जीवन मूल्यों के बीच एक संतुलित समंजस्य बनाती है।

रामैनी: इस रचना में कबीर ने रामचंद्र के जीवन को वर्णित किया है। इसमें वे रामचंद्र की विविध घटनाओं के माध्यम से धरम की महिमा और धर्म के मूल्यों पर चिंतन करते हैं।

दोहावली: इस रचना में कबीर दास ने अपने दोहों का संग्रह किया है। इसमें उन्होंने संसार की माया और वास्तविकता के बीच एक संतुलित समंजस्य की भावना को व्यक्त किया है।

सुंदर नारी वाणी: इस रचना में कबीर ने महिलाओं के अधिकारों के बारे में चर्चा की है। उन्होंने महिलाओं के अधिकारों को बढ़ावा दिया और समाज को उनके अधिकारों का सम्मान करने के लिए प्रेरित किया।

गुरु गोविन्द दोऊ खड़े: इस रचना में कबीर ने धर्म के महत्त्व को बताया है। उन्होंने धर्म को जीवन का महत्वपूर्ण एवं अनिवार्य हिस्सा माना है।

पूतली: इस रचना में कबीर ने जीवन की मूल्यों और मानवता के बीच की संघर्ष भरी भावनाओं को व्यक्त किया है। इस रचना में वे संसार के मिथ्या मूल्यों के विरुद्ध अपनी आवाज उठाते हैं।

कबीर दास की रचनाओं में संसार की माया, जीवन के मूल्य, धर्म, उन्नति आदि के महत्वपूर्ण विचार उपलब्ध होते हैं। उन्होंने समाज के विभिन्न मुद्दों पर उनके दृष्टिकोण को व्यक्त किया है और लोगों को आत्मनिर्भरता, समझदारी, सद्भाव आदि के लिए प्रेरित किया है।कबीर दास की रचनाएं अपनी सटीकता और संगति के लिए जानी जाती हैं। उन्होंने समाज को एकता और शांति के लिए प्रेरित किया है और उनके द्वारा दिए गए संदेशों को आज भी लोगों द्वारा अपनाया जाता है।

Kabir Das Books

कबीर दास की कई पुस्तकें हिंदी में उपलब्ध हैं। यहां कुछ प्रमुख पुस्तकों के नाम दिए जा रहे हैं:

संत कबीर: यह पुस्तक आचार्य रामचंद्र शुक्ल द्वारा लिखी गई है। इसमें कबीर दास के जीवन, उनकी दोहे आदि के बारे में बताया गया है।

कबीर अमृतवाणी: यह पुस्तक संत कबीर द्वारा लिखी गई है। इसमें उनकी अमृतवाणी और दोहे हैं।

कबीर वाणी: इस पुस्तक में कबीर दास की वाणियाँ और दोहे संकलित हैं। इसमें संस्कृत श्लोकों का भी उल्लेख किया गया है।

कबीर के प्रेरणादायक दोहे: इस पुस्तक में कबीर दास के प्रेरणादायक दोहे हैं। इसमें उनके संदेशों को सरल तरीके से समझाया गया है।

कबीर दोहावली: यह पुस्तक उनके दोहों का संग्रह है। इसमें उनके दोहों का अर्थ और उनका महत्व बताया गया है।

कबीर दास की साक्षात्कारिक जीवनी: इस पुस्तक में कबीर दास के जीवन के बारे में जानकारी है। यह पुस्तक आचार्य अखण्डानं आनंद द्वारा लिखी गई है।

कबीर दास के दोहे: इस पुस्तक में कबीर दास के दोहे संकलित हैं। इसमें उनके संदेशों को समझाने वाली व्याख्या भी दी गई है।

कबीर दास की प्रेरणादायक कहानियाँ: इस पुस्तक में कबीर दास की कुछ प्रेरणादायक कहानियाँ हैं।

कबीर दास के दोहों का संग्रह: इस पुस्तक में कबीर दास के दोहों का संग्रह है। इसमें उनके दोहों के अर्थ और महत्व को समझाने वाली व्याख्या भी दी गई है।इन सभी पुस्तकों को आप ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीकों से खरीद सकते हैं।

Kabir Das ki Shiksha

कबीर दास की शिक्षाओं में निम्नलिखित मुख्य विषय हैं:

एकता: कबीर दास ने हमेशा एकता की महत्ता बताई है। उन्होंने अलग-अलग धर्मों और समुदायों के लोगों को एक साथ लाने का संदेश दिया है।

समझदारी: कबीर दास ने समझदारी का भी बहुत महत्व दिया है। उन्होंने लोगों से कहा है कि वे हमेशा विवेकपूर्ण तरीके से सोचें और समझें।

दूसरों के साथ उदारता से बर्ताव करना: कबीर दास ने हमेशा दूसरों के साथ उदारता से बर्ताव करने का संदेश दिया है। उन्होंने कहा है कि हमें दूसरों की मदद करनी चाहिए और हमेशा उन्हें अपने आस-पास रखना चाहिए।

सच्चाई और ईमानदारी: कबीर दास ने सच्चाई और ईमानदारी का भी बहुत महत्व दिया है। उन्होंने लोगों से कहा है कि वे हमेशा सच्चे और ईमानदार हों।

संतोष: कबीर दास ने संतोष का भी बहुत महत्व बताया है। उन्होंने कहा है कि हमें अपनी भाग्यवश आने वाली सभी चीजों से संतुष्ट रहना चाहिए।इन सभी शिक्षाओं के जरिए, कबीर दास ने एक उज्ज्वल, समझदार, दयालु और संतुष्ट जीवन का संदेश दिया है।

कबीर दास के 10 दोहे | कबीर दास के दोहे

1. “साधो रे, ये मुर्ख जग देखा, मूर्ख जग फिर अधिक मूर्ख हुआ। कहा कबीर सुनो भाई साधो, जग तीनों शक्ति से पर्पर हुआ।।”

2. “कस्तूरी कुंडल बसे मृग ढूँढत बन महुँ रे।अंतर्गत तत्व ज्ञान के मिले न राम।।”

3. “बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलया कोय।जो मन खोजा अपना, तो मुझसे बुरा न कोय।।”

4. “पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुआ, पंडित भया न कोय।ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय।।”

5. “दुख में सुमिरन सब करे, सुख में करे न कोय।जो सुख में सुमिरन करे, दुख काहे को होय।।”

6. “माया मुरख जगत हैं, मुरख मूर्ख मुग्ध घटा।ज्ञानी चारी अंगुली, ठोकर सब संसार का।।”

7. “जो तुम तोड़ो पैंजनवा, सो तुम बाँधे कल।काहे रे बैरी जोर करत, निज घर बारह कल।।”

8. “काम क्रोध मद लोभ देह, ते चारु बढ़ते बिकार।जब जहाँ बितायो नहीं, जात है कहा अवतार।।”

9. “जब मैं था तब हरि नहीं, अब हरि है मैं नाही। सब अंधे नेहरु पारे, मैं बैठा समय गवाह रे।।”

10. “गुरु गोविंद दोऊ खड़े, काके लागूं पाँय।बलिहारी गुरु आपने, गोविंद दियो मिलाय।।”

कबीर दास के माता पिता का नाम

कबीर दास के माता-पिता के नाम के बारे में कुछ निश्चित जानकारी नहीं है। इस विषय में कुछ लोग मतभेद करते हैं। कुछ लोग कहते हैं कि उनके माता-पिता का नाम श्री नीरू और श्री निर्मल था, जबकि कुछ लोग इस बात को असत्य मानते हैं।

वे यह भी कहते हैं कि कबीर दास की जन्मगणना नहीं हुई थी, तो उनके माता-पिता के नामों के बारे में कुछ नहीं जाना जा सकता है।कुछ लोग कहते हैं कि कबीर दास का जन्म लखनऊ के निकट काशीपुर नामक गांव में हुआ था और उनके माता-पिता का नाम माया और नीरू था। इस विषय में कुछ ऐसे भी विद्वान हैं जो कहते हैं कि कबीर दास का जन्म राजस्थान के वाराणसी नामक गांव में हुआ था । उनके माता-पिता का नाम माया और देवा था। इन सभी विवादों के बीच, कबीर दास की जीवन गाथा और उनके द्वारा लिखित ग्रंथों में दी गई सीख की महत्वपूर्णता उनकी वास्तविक जन्मतिथि और माता-पिता के नाम से बढ़ती है।

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Conclusion

कबीर दास भारतीय संस्कृति के एक महान कवि थे जो धर्म और मानवता के बीच संतुलन बनाने की कोशिश करते थे। उन्होंने अपने जीवन के दौरान अनेक संघर्षों का सामना किया, लेकिन उनका आदर्श और जीवनशैली उन्हें हमेशा सफल बनाता रहा। उनकी कविताओं में हमेशा एक दूसरे के साथ बने रहने और अलग-अलग धर्मों के लोगों के साथ समझौते करने का संदेश होता है। इसलिए, कबीर दास का जीवन हमें एक समझदार और संवेदनशील समाज का निर्माण करने के लिए प्रेरित करता है।

नाम कबीर दास
जन्म 1398 ,लहरतारा ,वाराणसी
पिता नीरू
मातानीमा
पत्नी लोई
बच्चे कमाल (पुत्र) ,कमाली (पुत्री)
रचनाएं साखी ,सबद,रमैनी।
शिक्षा ज्ञानी
मृत्यु1518, मगहर, उत्तर प्रदेश,भारत
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FAQ

Q. कबीर दास जी का जन्म कब और कहां हुआ था | kabir das ka janm kab aur kahan hua tha

A. कबीर दास जी का जन्म 1398 ईस्वी में भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में काशी (वराणसी) के पास लहरतारा नामक छोटे से गांव में हुआ था।

Q. कबीर दास की प्रमुख रचनाएं कौन-कौन सी हैं

A. कबीर दास जी की रचनाएँ उनके समय से लेकर आज तक बहुत लोकप्रिय हैं। कुछ प्रमुख रचनाएं निम्नलिखित हैं:

दोहे, साखी ,भजन , रामैया के पद , निर्गुणी भजनसत्य , कबीरवाणी , अमृतवाणी , बीजक , सुखदाई , गोरखबाणी , इनमें से उनके दोहे सबसे प्रसिद्ध हैं, जिनके द्वारा उन्होंने अपने सामाजिक और धार्मिक विचारों को व्यक्त किया।

Q. कबीर दास की मृत्यु कब हुई | kabir das ki mrityu kab hui thi

A. कबीर दास जी की मृत्यु की तारीख के बारे में निश्चित जानकारी उपलब्ध नहीं है, लेकिन विश्वसनीय इतिहासकारों के अनुसार उनकी मृत्यु 1518 ईसवी में हुई थी।

Q. कबीर दास कौन थे | kabir das kaun the

A. कबीर दास भारतीय इतिहास में एक महान संत, कवि, समाज सुधारक और धर्म निरपेक्ष विचारक थे। वे अपनी रचनाओं द्वारा धार्मिक एवं सामाजिक सुधार की बात करते थे। उन्होंने सभी लोगों को समान दर्जा देने की बात कही थी और धर्म के नाम पर जातिवाद और अन्य अंतर्निहित समस्याओं के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी।

Q. कबीर दास जी का जन्म कब हुआ| kabir das ji ka janm kab hua

A. कबीर दास जी का जन्म 1398 ईस्वी में हुआ था।

Q. कबीर दास के गुरु कौन थे | kabir das ke guru ka naam kya tha

A. कबीर दास जी के गुरु का नाम रामानंद था। रामानंद जी उत्तर प्रदेश के प्रयाग जिले के काशीपुर नामक गांव में रहते थे।

Q. संत कबीर दास का मूल नाम क्या था ।

A. संत कबीर दास का मूल नाम कबीर था।

Q. कबीर दास की पत्नी का क्या नाम था kabir das wife name

A कबीर दास जी की पत्नी का नाम लोई था। उन्होंने एक साधारण से परिवार से शादी की थी और उनके साथ दो बेटे थे।

Q. कबीर दास जी का जन्म कहां हुआ था| kabir das ka janm kahan hua tha

कबीर दास जी का जन्म वाराणसी से लगभग 100 किलोमीटर दूर के लहरतारा गाँव (Lahartara, near Kashi) में हुआ था। यह गांव आज भी उत्तर प्रदेश राज्य के वाराणसी जिले में स्थित है।

Q. kabir das ji ka janm kab hua tha.

A. कबीर दास का जन्म 1398 ईस्वी में हुआ था।

Q. kabir das ke guru kaun the | kabir das ke guru ka kya naam tha.

A. कबीर दास के गुरु का नाम स्वामी रामानन्द था। स्वामी रामानन्द उत्तर प्रदेश के प्रयाग जिले के काशीपुर नामक गांव में रहते थे। उन्होंने कबीर दास को संत माता से मिलवाया था और उन्हें धर्म के उपदेश दिए थे।

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