“बाबासाहेब ने कहा था जो इतिहास नहीं बनाते वह इतिहास बदलने की बात करते हैं।”
प्रस्तावना:
Ambedkar Surname (अम्बेडकर उपनाम) भारत में गहरा महत्व रखता है, जो सामाजिक परिवर्तन और समानता के लिए की जाने वाली संघर्ष की विरासत का प्रतीक है। यह उपनाम अपनी मूल भूमिका से परे होकर सभ्यता और सामाजिक परिवर्तन के प्रतीक के रूप में उभर गया है।
जिस समय 1994 में सूबेदार मेजर राम जी को समय पूर्व, प्रधान सेनापति लॉर्ड किचनर और ब्राह्मण षड्यंत्र के कारण सेना से सेवानिवृत्त किया गया।
उस समय उन्हें नियम के अनुसार बहुत थोड़ी पेंशन मिलती थी। उसी के सहारे शेष जीवन यापन करने के लिए वे सभी परिवार के साथ दापोली अंबावडे रत्नागिरी महाराष्ट्र में आ गए यह उनके पूर्वजों का गांव था ।
सन 1896 में हुए सब परिवार के साथ सातारा महाराष्ट्र में आ गए दापोली के पास ही अंबावडे गांव था।
Ambedkar Surname Kisane Diya
सूबेदार जी ने भीम राव अम्बेडकर नाम दिया हैं।
सूबेदार राम जी के पूर्वज इसी गांव के वासी थे, इसलिए सूबेदार जी ने बच्चों को स्कूल में भर्ती करते समय उन सब के नाम के साथ अपने गांव के (अंबावडे + कर ) Ambedkar surname भी लिख दिया।
सूबेदार जी अगर अंबावडे कर उपनाम ना रखते तो बाबा साहेब का नाम अंबेडकर ना पड़ता।
Ambedkar Surname History
जिस प्रकार कुछ उदाहरण एपीजे अब्दुल कलाम, विशाल गाजीपुरी । उसी प्रकार अंबावडे से अंबेडकर नाम रखें ।
वैसे सूबेदार जी का कुल का नाम सतपाल था महाराष्ट्र में आज भी पता है कि जो जिस गांव में जन्म लेता है।
उसी के नाम पर अपना नाम रखा जाता है कुछ लोगों के नाम उपनाम गांव पर तो कुछ लोगों के गोत्र पर जैसे कि धारवाड़ में पैदा होने वाले का उपनाम धारवाड़ कर होता है
कर का अर्थ है – वाला
अंबावडे गांव के रहने वाले का नाम अंबावडे + कर होता है ।
इसलिए हमारे मार्ग दाता का नाम बालक भीमराव रामजी आंबेडकर रखा गया ।
भीकू धूत्रे दाभोल के समीप पलंग गांव के रहने वाले थे अतः वह लोग कर भी कहलाते थे।
अम्बेडकर जी के गुरु
बाबासाहेब माता-पिता के बाद
दूसरे गुरु महात्मा कबीर जी
तीसरे गुरु महात्मा फूले जी
को माना है।
अम्बेडकर उपनाम: भविष्य की पीढ़िया
शिक्षा के रूप में शक्ति का उपकरण
अम्बेडकरी आंदोलन और शिक्षा पर ध्यान केंद्रित करना
चक्र तोड़ना: सभी के लिए शिक्षा के अवसर
निष्कर्ष
अमबेडकरी उपनाम सामाजिक परिवर्तन, शक्तिपूर्णता और भेदभाव के खिलाफ संघर्ष की एक गहरी विरासत को प्रतिष्ठित करता है।
डॉ. बी.आर. अम्बेडकर की अद्वितीय जीवनगाथा से जुड़े इस उपनाम ने शक्ति और सामाजिक परिवर्तन के एक प्रतीक के रूप में विकसित हो गया है। इसके धारकों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, लेकिन अम्बेडकर उपनाम आज भारत की समाजिक न्याय में और उससे परे एक गहरी प्रभावशाली चिन्ह के रूप में मान्यता प्राप्त कर रहा है।
हम इसके ऐतिहासिक प्रासंगिकता, समकालीन महत्व और इसके माध्यम से बहुजन समुदायों पर पड़े प्रभाव को पहचानते हुए इस लेख में उसकी व्यापक परीक्षा करने का प्रयास किया हैं।
हम अम्बेडकरी उपनाम की स्थायी महत्ता को समझते हैं, जो एक समावेशी और समतामूलक समाज की ओर एक पथ प्रशस्त करने के लिए रास्ता देखने में सहायता करता है।
FAQ (Frequently Ask Questions)
अंतिम कुछ प्रश्न कर रहा हूं कृपया जवाब दें –
क्या अंबेडकर नाम का कोई गुरु थे ?
क्या अंबेडकर ब्राह्मण का सरनेम है ?
अंबेडकर नाम के सरनेम वाले ब्राह्मणों का कोई अस्तित्व में है ।
किस राज्य में अंबेडकर सरनेम वाले ब्राह्मण हैं?
बाबा साहेब का नाम जो कि छुपाई,बताई गई है मीडिया के द्वारा फिल्मों और किताबों में गलत दिखाया और बताया गया है।
किसी ने सच ही कहा है- “झूठ को इतनी बार दोहराव कि वह सच लगने लगी षड्यंत्रकारी हमेशा इसी सिद्धांत पर कार्य करते हैं।”
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