Dr. BR Ambedkar Quotes जोकि उनकी बुद्धिमत्ता और प्रभाव ka keval ek chhota sa उदाहरण hai. Vah aaj bhi उन logon ko prerit kar raha hai jo ek adhik न्यायपूर्ण और समान samaj ke liye prayas kar rahe hain.
1.”Main kisi samuday ki pragati ka vikas mahilaon ki pragati ke dar se mapta hoon.”
2.”Agar main samvidhan ka durupyog dekhunga, to main sabse pehla hoga jo use jala dun
3.”Pati aur patni ke beech ka rishta sabse acche dost jaise hona chahiye.”
4.”Hak kho diye kabhi bhi vapis nahi milte jabki unhe zor zabardasti ke khilaf lade jaa kar hasil kiya ja sakta hai.”
5.”Ek mahaan aadmi ek prasiddh aadmi se alag hota hai kyonki vah samaj ka sevak banne ke liye taiyar hota hai.”
6.”Main nahi chahta ki hamari bhaichara ki bhavna ko kisi bhi tarah se hamare dharma, hamare sanskriti ya hamare bhasha ke parshvabhoomi ka sammohan ho. Main chahta hoon ki sabhi log pehle se hi Bharatiya ho, antatah Bharatiya ho, aur kuchh nahi ho, sirf Bharatiya ho.”
7.”Rajnaitik atyachar sammajik atyachar ke samne kuchh nahi hai aur ek sudharak jo samaj ka virodh karta hai vah ek neta se bhi bahadur insaan hai jo sarkar ka virodh karta hai.”
8.”Shikshit ho jao, sangathit ho jao aur aakroshit ho jao.”
9.”Man ki azaadi hi sachchi azaadi hai. Vah vyakti jiska mann azaad nahi hai, chahe vah zanjeeron mein na bhi ho, vah ghulam hai, azaad aadmi nahi hai.”
10.”Agar tum pichhda maante ho to pichhda bano, par apne dum par. Koi tumhe pichhe nahi kheenchega, koi aage bhi nahi badhayega. Tum apne hi pairon par khade ho jao, aage badh jao.”
11.”Samaj ko badalna hai to shiksha se badlenge, shiksha ko badalna hai to shikshak ko badalna hoga.”
12.”Desh ko swatantra banana hai to sabse pehle samaj ko swatantra banana hoga.”
13.”Hindu samaj ke logon ko jaati-vyavastha se mukti keval ek shaasanik mudde nahi hai. Yeh ek aadhyatmik mudde bhi hai.”
14.”Jo apni bhasha ko nahi jaanta, vah apni maata ko nahi jaanta. Jo apni maata ko nahi jaanta, vah napunsak hai.”
15.”Shudron ko jaati-pratha se mukti keval unki jaati ko badalne se nahi ho sakti. Iske liye unhe shikshit hona hoga aur unhe sarkari naukariyon aur sarkari shiksha ke liye chayanit kiya jana hoga.”
16.”Jab tak mahilaon ko purushon ke saath saman adhikar nahi milte, samaj ka vikas sambhav nahi hai.”
17.”Jab tak satta jaati aur dharm se mukt nahi hoti, Bharat ka samaj ek nahi ho sakta.”
18.”Kisi bhi samaj ki sambhavana uske sabse nichle varg ke haq mein hai.”
19.”Sanghathit hokar satta mein aana, usse zyada mahatvapurn hai satta ko shuddh karna.”
20.”Siksha ke bina manushya vah hai jaise bahar nikla paudha jo kewal aakaash ko thoda-sa chhoota hai aur khud ki shakhaon se jamin se jude nahi hota.”
21.”Jo samaj shikshit nahi hai, vah chhote parivar ke liye khatarnak hai. Aur jo shikshit hai, vah poori duniya ke liye mahatvapurn hai.”
22.”Bharat ke sambhav aur vikas ka raasta kewal ek hi hai – shiksha, sangathan aur aakrosh.”
23.”Samvidhan sabhi bhashaon ke liye hai, lekin sabhi bhashayon ke liye samvidhan ki bhoomika saman nahi hai.”
24.”Jo apne aap ko swatantra nahi kar sakta, vah kisi aur ko swatantra nahi kar sakta.”
25.”Hamara lakshya samajik samanata hai, hamara saadhan sanghathit hone ka hai, aur hamara raasta nyay ka hai.”
26.”Vyakti ke adhikar keval vyakti ke vikas ke liye nahi hai, balki samajik vikas ke liye bhi zaroori hai.”
27.”Jis samaj mein nyay ka anubhav nahi hota, vah samaj sudharne ka layak nahi hai.”
28.”Hindu sanskriti mein shudron aur mahilaon ke liye jagah nahi hai, isliye ismein sudharo ki zaroorat hai.”
29.”Jab tak sabhi logon ko समान adhikar nahi milte, tab tak hamara samaj asamajik hai.”
Dr. BR Ambedkar Quotes in Hindi
- यह मानना भूल होगी कि 1857 के गदर में परिलक्षित अकुशलता के कारण ईस्ट इंडिया कंपनी समाप्त कर दी गई। इसके विपरीत वास्तव में गदर की घटना के पूर्व सम्राट द्वारा भारत सरकार का कार्यभार ग्रहण करने के बारे में बातचीत चलती रही थी…।” 1857 में क्रीमियन युद्ध में अपनी सफलता के परिणामस्वरूप लार्ड पामर्स्टन भारी बहुमत से सत्ता में आए और उन्होंने तुरंत कंपनी के निदेशकों को कंपनी की समाप्ति के लिए एक विधेयक लाने तथा सम्राट द्वारा सीधे भारत सरकार की पूर्ण अवधारणा के प्रस्ताव की अधिसूचना से सबको आश्चर्यचकित कर दिया।”-डॉ. भीमराव अम्बेडकर
2. दलित युवाओं को मेरा यह पैगाम है कि एक तो वे शिक्षा और बुद्धि में किसी से कम न रहें, दूसरे ऐशो-आराम में न पड़कर समाज नेतृत्व करें। तीसरे समाज के प्रति आपनी जिम्मेदारी संभालें तथा समाज को जागृत और संगठित कर उसकी सच्ची सेवा करें। डॉ. भीमराव अम्बेडकर
3. जिस समाज में कुछ वर्गों के लोग जो कुछ चाहें वह सब कुछ कर सकें और बाकी वह सब भी न कर सकें जो उन्हें करना चाहिए, उस समाज के अपने गुण होते होंगे, लेकिन इनमें स्वतंत्रता शामिल नहीं होगी। अगर इंसानों के अनुरूप जीने की सुविधा कुछ लोगों तक ही सीमित है, तब जिस सुविधा को आमतौर पर स्वतंत्रता कहा जाता है, उसे विशेषाधिकार कहना अधिक उचित होगा। -डॉ. भीमराव अम्बेडकर
4. सभी मनुष्य एक ही मिट्टी के बने हुए हैं और उन्हें यह अधिकार भी है कि वे अपने साथ अच्छे व्यवहार की मांग करें।डॉ. बी. आर. अम्बेडकर
5. व्यक्तिगत स्तर पर मैं यह स्पष्ट कहना चाहता हूं कि मैं नही मानता कि इस देश में किसी विशेष संस्कृति के लिए कोई जगह हैं, चाहे वह हिंदू संस्कृति हो, या मुस्लिम संस्कृति, या कन्नड़ संस्कृति, या गुजराती संस्कृति। ये ऐसी चीजें हैं, जिन्हें हम नकार नहीं सकते पर उनको वरदान नहीं मानना चाहिए, बल्कि अभिशाप की तरह मानना चाहिए, जो हमारी निष्ठा को डिगाती हैं और हमें अपने लक्ष्य से दूर ले जाती हैं। यह लक्ष्य है, एक ऐसी भावना को विकसित करना कि हम सब भारतीय हैं। – डॉ. भीमराव अम्बेडकर
6. जिस समाज में कुछ वर्गों के लोग जो कुछ चाहें वह सब कुछ कर सकें और बाकी वह सब भी न कर सकें जो उन्हें करना चाहिए उस समाज के अपने गुण होते होंगे. लेकिन इनमें स्वतंत्रता शामिल नहीं होगी। अगर इंसानों के अनुरूप जीने की सुविधा कुछ लोगों तक ही सीमित है, तब जिस सुविधा को आमतौर पर स्वतंत्रता कहा जाता है, उसे विशेषाधिकार कहना अधिक उचित होगा।
-डॉ. भीमराव अम्बेडकर
7. बुद्धिजीवी वर्ग वह है, जो दूरदर्शी होता है, सलाह दे सकता है और नेतृत्व दान कर सकता है। किसी भी देश की अधिकांश जनता विचारशील एवं क्रियाशील जीवन व्यतीत नहीं करती। ऐसे लोग प्रायः बुद्धिजीवी वर्ग का अनुकरण और अनुगमन करते हैं। यह कहने में कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी कि किसी देश का संपूर्ण भविष्य उसके बुद्धिजीवी वर्ग पर निर्भर होता है।
यदि बुद्धिजीवी वर्ग ईमानदार, स्वतंत्र और निष्पक्ष है तो उस पर यह भरोसा किया जा सकता है कि संकट की घड़ी में वह पहल करेगा और उचित नेतृत्व प्रदान करेगा। यह ठीक है कि प्रज्ञा अपने आपमें कोई गुण नहीं है। यह केवल साधन है और साधन का प्रयोग उस लक्ष्य पर निर्भर है, जिसे एक बुद्धिमान व्यक्ति प्राप्त करने का प्रयत्न करता है। बुद्धिमान व्यक्ति भला हो सकता है, लेकिन साथ ही वह दुष्ट भी हो सकता है। उसी प्रकार बुद्धिजीवी वर्ग उच्च विचारों वाले व्यक्तियों का एक दल हो सकता है, जो सहायता करने के लिए तैयार रहता है और पथ भ्रष्ट लोगों को सही रास्ते पर लाने के लिए तैयार रहता है।~डॉ. भीमराव अम्बेडकर जातिप्रथा उन्मूलन
8. जो कुछ मैं कर पाया हूँ, वह जीवन भर मुसीबतें सहन करके विरोधियों से टक्कर लेने के बाद ही कर पाया हूँ। जिस कारवाँ को आप यहां देख रहे हैं, उसे मैं अनेक कठिनाइयों से यहां ले आ पाया हूँ। अनेक अवरोध, जो इसके मार्ग में आ सकते हैं, के बावजूद इस कारवाँ को बढ़ते रहना है। अगर मेरे अनुयायी इसे आगे ले जाने में असमर्थ रहें, तो उन्हें इसे यहीं पर छोड़ देना चाहिए, जहां पर यह अब है। पर किन्हीं भी परिस्थितियों में इसे पीछे नहीं हटने देना है। मेरी जनता के लिए मेरा यही संदेश है।~डॉ. भीमराव अम्बेडकर
महाड में ऐतिहासिक चावदार टैंकयह सम्मेलन के समय
9. समता के ध्वज को फहराने के लिए आयोजित किया गया है और इस प्रकार इसकी तुलना 1789 में फ्रांस की नेशनल असेम्बली से की जा सकती है।-डॉ. बी. आर. अम्बेडकर
10. कार्य करने की वास्तविक स्वतंत्रता केवल वहीं पर होती है, जहां शोषण का समूल नाश कर दिया जाता है, जहां एक वर्ग द्वारा दूसरे वर्ग पर अत्याचार नहीं किया जाता, जहां बेरोजगारी नहीं है, जहां गरीबी नहीं है, जहां किसी व्यक्ति को अपने धंधे के हाथ से निकल जाने का भय नहीं है, अपने कार्यों के परिणामस्वरूप जहां व्यक्ति अपने धंधे की हानि, घर की हानि तथ रोजी-रोटी की हानि के भय से मुक्त है।- डॉ. भीमराव अम्बेडकर
11. हिन्दू सोसायटी उस बहुमंजिली मीनार की तरह है जिसमें प्रवेश करने के लिए न कोई सीढ़ी है न दरवाजा जो जिस मंजिल में पैदा हो जाता है उसे उसी मंजिल में मरना होता है।- डॉ. भीमराव अम्बेडकर
12. माता-पिता ने जो मेरे लिए त्याग और शिक्षा में मार्गदर्शन किया है, उसके प्रति आभार एवं स्मृति स्वरूप सावर समर्पित । डॉ. बी. आर. अम्बेडकर
13. जाति प्रथा को बनाए रखने वालों को प्रोत्साहित करना भारत में प्रजातंत्र का प्रोत्साहन न होकर उसके प्रजातंत्र को एक बड़े खतरे में झोंकना होगा- डॉ. बी. आर. अम्बेडकर
14. जो लोग करोड़ों लोगों को अछूत और अपराधी मानते हो उन्हें आजादी मांगने का हक नहीं- डॉ. बी. आर. अम्बेडकर
15. अपने खून की आखिरी बूंद तक आजादी की रक्षा का संकल्प हमें करना ही चाहिए।-डॉ. भीमराव अम्बेडकर
16. मैं अन्याय, अत्याचार, आडंबर तथा अनर्थ से घृणा करता हूं और मेरी घृणा उन सब लोगों के प्रति हैं, जो इन्हें अपनाते हैं। वे दोषी हैं। मैं अपने आलोचकों को यह बताना चाहता हूं कि मैं अपने इन भावों को अपना वास्तविक बल व शक्ति मानता हूं।- डॉ. भीमराव अम्बेडकर
17. हिंदुस्तान के इतिहास के बारे में गलतफहमियां प्रचलित हैं। कई विद्वान इतिहासकारों ने कहा है कि हिन्दुस्तान में राजनीति के बारे में कोई कुछ नहीं जानता था। प्राचीन भारतीयों ने केवल दर्शन, धर्म और आध्यात्म के बारे में लिखने पर ही अपना ध्यान केन्द्रित किया था। इतिहास और राजनीति से वे पूरी तरह अलिप्त थे। कहा यह भी जाता है कि हिंदी जीवन और समाज, तय फौलादी घेरे में ही घूमता है और उस घेरे के वर्णन के साथ-साथ इतिहासकार का काम पूरा हो जाता है! प्राचीन हिंदुस्तान के इतिहास के अध्ययन के बाद मेरी राय इन विद्वानों की राय से अलग बनी है।
इस अध्ययन में मैंने पाया कि दुनिया के किसी भी देश में हिंदुस्तान जैसी गतिमान राजनीति नहीं थी और शायद हिंदुस्तान ही एक मात्रा ऐसा देश है जहां ऐसी क्रांति हुई जैसी दुनिया भर में अन्यत्रा कहीं नहीं हुई।इतिहासकार शायद जिसे भूल चूके हैं ऐसी एक बुनियादी बात हिंदी इतिहास पढ़ने वाले छात्रों को ध्यान में रखनी होगी और वह है प्राचीन हिंदुस्तान में बौद्ध और ब्राह्मणों के बीच हुई लड़ाई। कुछ प्रोफेसरों ने कहा है कि, यह कोई दो पंथों के बीच हुई मामूली लड़ाई नहीं थी। यह सत्य के मायने ढूंढ़ने के लिए लड़ी गई लड़ाई थी……. -डॉ. भीमराव अम्बेडकर
18. हम लोग इस तालाब का गंदा पानी पीने से अमर नही होने वाले, लेकिन हमारा ये कदम साबित करेगा कि हम लोग भी इंसान है।
~डॉ. भीमराव आंबेडकर
Dr. BR Ambedkar Shorts Quotes in Hindi
18. “जहां न्याय होता है, वहां समाज सुधारता है।”
19. “हमारा लक्ष्य सामाजिक समानता है, हमारा साधन संघटित होने का है, और हमारा रास्ता न्याय का है।”
20. “व्यक्ति के अधिकार केवल व्यक्ति के विकास के लिए नहीं है, बल्कि सामाजिक विकास के लिए भी ज़रूरी है।”
21. “जिस समाज में न्याय का अनुभव नहीं होता, वह समाज सुधारने का लायक नहीं है।”
22. “शिक्षित व्यक्ति को सामाजिक अन्याय से नफरत करना चाहिए और असंगठित समाज को आवाज देना चाहिए।”
23. “दलितों के विकास के लिए सबसे बड़ी ज़रूरत है शिक्षा।”
24. “जिस समाज में समानता का अनुभव नहीं होता, वह समाज न्याय का हकदार नहीं है।”
25. “समाज को स्वतंत्र बनाने के लिए उसे अशिक्षित लोगों से मुक्त कराना जरूरी है।”
26. “जब तक शिक्षित लोग संघर्ष करते रहेंगे, तब तक अशिक्षित लोग उन्हें निरंतर वश में रखते रहेंगे।”
27. “आधुनिकता उस समय आती है, जब लोगों के मन में स्वतंत्र विचार आते हैं।”
28. “अगर हमें समाज के विकास के लिए काम करना है, तो हमें उन लोगों के साथ मिलकर काम करना होगा जो समाज के सबसे निचले पायदान पर होते हैं।
ये कुछ प्रसिद्ध वाक्य हैं, जो डॉ. बी.आर. अंबेडकर ने अपने जीवन के दौरान कहे थे। उनके विचार आज भी हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं और हमें इन पर अमल करना चाहिए।
अंत में gautam buddha quotes के साथ लेख को समाप्त करता हूं।
29. जिस प्रकार अपने जीवन का खतरा उठाते हुए मां अपने शिशु की देखभाल करती है, उसी प्रकार प्रत्येक व्यक्ति को सभी प्राणियों के प्रति अपार प्रेम प्रदान करने के लिए मन बनाना चाहिए। उसे संपूर्ण विश्व के प्रति सदभावना रखनी चाहिए, ऊपर-नीचे और उस पार, सभी के लिए उसके मन में घृणाहीन और शत्रुतारहित अबाध प्रेम होना चाहिए। ऐसा जीवन पद्धति विश्व में सर्वोत्तम है।
~भगवान बुद्ध
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