Gautam Buddha Quotes

Inspirational Gautam Buddha Quotes in Hindi

पालि~ न अन्तलिक्खे न समुद्दमज्झे,न पब्बतानं विवरं पविस्स । न विज्जती सो जगतिप्पदेसो, यत्थट्टितो मुञ्चेय्य पापकम्मा ॥

हिन्दी ~ न आकाश में, न समुद्र के मध्य में, न पर्वतों के विवर में प्रवेश कर- संसार में कोई स्थान नहीं है, जहां रहकर – कर्मों के फल से प्राणी बच सके।

पालि~ नरिथ रागसमो अग्णि, नत्थि दोससमो कलि । नरिथ खन्धसमा दुक्खा, नत्थि सन्तिपरं सुखी

हिन्दी ~राग के समान अग्नि नहीं, द्वेष के समान पाप नहीं, पांच स्कन्धों (रूप, वेदना, संज्ञा, संस्कार और विज्ञान) सदृश दुःख नहीं, निर्वाण (उपशमन) सदृश सुख नहीं।

पालि~ खन्ती परमं तपो तितिक्खा, निब्बाणं परमं वदन्ति बुद्धा । न हि पब्बजितो परूपघाती, समणो होति परं विहेठयन्तो ।।

हिन्दी ~क्षमा, जिसे सहनशीलता भीकहते हैं, उत्तम तप है।सभी बुद्ध निर्वाण कोसर्वश्रेष्ठ बताते हैं | जोव्यक्ति दूसरों को चोटपहुँचाता है या सताताहै उसे श्रमण नहींकहा जा सकता”

Positive Gautam Buddha Quotes in Hindi

पालि~ न हि बेरेन बेरानि, सम्मन्तीथ कुदाचन । अवेरेन च सम्मन्ति, एस धम्मो सनतनो ||

हिन्दी ~ घृणा का अन्त घृणा से नहीं होता; घृणा का अन्त होता है प्रेम, दया, करुणा एवं मैत्री से।

पालि~सब्बदानं धम्मदानं जिनाति सब्बं रसं धम्मरसो जिनाति । सब्बं रतिं धम्मरती जिनाति तण्हक्खयो सब्बदुक्खं जिनाति ॥

हिन्दी ~ धम्म का दान सभी दानों से बढ़कर है, धम्म-रस सारे रसों से प्रबल है। धम्म में रति सब रतियों से बढ़कर है, तृष्णा का विनाश सारे दुःखों को जीत लेता है।

पालि~सब्बपापस्स अकरणं कुसलस्स उपसम्पदा । सचित्तपरियोदपनं एवं बुदान सासनं ।

हिन्दी ~ सारे पापों का न करना, पुण्य का संचय करना, अपने चित्त को परिशुद्ध करना, यह है बुद्धों की शिक्षा ।

पालि~सुखो बुद्धानं उप्पादो, सुखा सद्धम्मदेोसना। सुखा संघस्स सामग्गी, समग्गानं तपो सुखो ॥

हिन्दी ~ सुखदायक है बुद्धों का जन्म, सुखदायक है सद्धर्म का उपदेश, संघ में एकता सुखदायक है और सुखदायक है एकतायुक्त होकर तप करना।

पालि~किच्छो मनुस्सपटिलाभो किच्छं मच्चानं जीवितं । किच्छ सद्धम्मसवणं किच्छो बुद्धानं उप्पादो।

हिन्दी ~ मानव जन्म पाना कठिन है, मानव जीवन जीना कठिन है. सद्धर्म श्रवण का अवसर मिलना कठिन है और बुद्धों की उत्पत्ति कठिन है।

Gautam Buddha Quotes

पालि~सेलो यथा एकघनो, वातेन न समीरति। एवं निन्दापसंसासु न समिज्जन्ति पण्डिता ॥

हिन्दी ~ जैसे ठोस पहाड़ हवा से कंपायमान नहीं होता, ऐसे ही बुद्धिमान निन्दा और प्रशंसा से विचलित नहीं होते।

पालि~अक्कोच्छि मं अवधि मं, अजिनि मं अहासि मे । ये च तं उपनव्हन्ति, वेर तेसं न सम्मति ॥

हिन्दी ~ ‘मुझे गाली दिया’, ‘मुझे मारा’,’मुझे हरा दिया’, ‘मुझे लूट लिया’,ऐसी बातें जो मन में बांधते हैं,उनका वैर कभी शान्त नहीं होता।

पालि~अत्ता हि अत्तनो नाथो, को हि नाथो परो सिया। अजना’ व सुदन्तेन, नार्थ लभति टुल्लभं ।

हिन्दी ~ पुरुष स्वयं ही अपना स्वामी है, दूसरा कौन. स्वामी हो सकता है, अपने को भली प्रकार दमन कर लेने पर वह एक दुलर्भ स्वामित्व का लाभ करता है।

पालि~न तं माता पिता कयिरा अब्ने वापि च जातका । सम्मापणिहितं चित्तं सेय्यसो’ नं ततो करे । ।

हिन्दी ~ जितनी हमारी भलाई माता-पिता या दूसरे भाई-बन्धु नहीं कर सकते, उससे अधिक भलाई सम्यक मार्ग पर लगा हुआ चित्त करता है।

पालि~दिसो दिसं यन्तं कविरा, वेरी वा पन वैरिनी। मिच्छापणिहितं चित्तं, पापियो नं ततो करे॥

हिन्दी ~ जितनी हानि शत्रु शत्रु की और वैरी वैरी की करता है, उससे कहीं अधिक हानि बुरे मार्ग पर लगा हुआ चित्त करता है।

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