त्रिशरण|Trisharan
नमो तस्स भगवतो अरहतो सम्मासम्बुद्धस्स
नमो तस्स भगवतो अरहतो सम्मासम्बुद्धस्स
नमो तस्स भगवतो अरहतो सम्मासम्बुद्धस्स
(उस भगवान अर्हत् सम्यक सम्बुद्ध को नमस्कार)
बुद्धं सरणं गच्छामि
धम्मं सरणं गच्छामि
संघं सरणं गच्छामि
(मैं बुद्ध (बुद्धगुणों), धर्म और संघ की शरण जाता हूँ)
दूसरी बार भी
दुतियम्पि बुद्धं सरणं गच्छामि
दुतियम्पि धम्मं सरणं गच्छामि
दुतियम्पि संघं सरणं गच्छामि
तीसरी बार भी
ततियम्पि बुद्धं सरणं गच्छामि
ततियम्पि धम्मं सरणं गच्छामि
ततियम्पि संघं सरणं गच्छामि
पंचशील|Panchshil
पाणातिपाता वेरमणी सिक्खापदं समादियामि
(मैं प्राणि हत्या से विरत रहने की शिक्षा ग्रहण करता हूँ)
अदिन्नादाना वेरमणी सिक्खापदं समादियामि
(मैं चोरी से विरत रहने की शिक्षा ग्रहण करता हूँ)
कामेसु मिच्छाचारा वेरमणी सिक्खापदं समादियामि
(मैं व्यभिचार से विरत रहने की शिक्षा ग्रहण करता हूँ)
मुसावादा वेरमणी सिक्खापदं समादियामि
(मैं झूठ से विरत रहने की शिक्षा ग्रहण करता हूँ)
सुरा-मेरय-मज्जपमादट्ठाना वेरमणी सिक्खापदं समादियामि
मैं सभी प्रकार की मदिरा एवं अन्य मादक वस्तुओं के सेवन से विरत रहने की शिक्षा ग्रहण करता हूँ / करती हूँ
त्रिशरण वन्दना
बुद्धं जीवितपरियन्तं सरणं गच्छामि
धम्मं जीवितपरियन्तं सरणं गच्छामि
संघं जीवितपरियन्तं सरणं गच्छामि
(मैं जीवनपर्यन्त बुद्ध, धर्म और संघ की शरण जाता हूँ)
ये च बुद्धा अतीता च ये च बुद्धा अनागता।
पच्चुप्पन्ना च ये बुद्धा अहं वन्दामि सब्बदा ||
(जितने बुद्ध पीछे हुये हैं और जितने आगे होंगे तथा इस समय जितने बुद्ध हैं, मैं उन सबकी हमेशा वन्दना करता हूँ)
ये च धम्मा अतीता च ये च धम्मा अनागता ।
पच्चुप्पन्ना च ये धम्मा अहं वन्दामि सब्बदा ।।
(जो सद्धर्म पीछे हो चुके हैं और जो आगे होंगे तथा इस समय जो धर्म हैं, मैं उन सबकी हमेशा वन्दना करता हूँ)
ये च संघा अतीता च ये च संघा अनागता । पच्चुप्पन्ना च ये संघा अहं वन्दामि सब्बदा ।।
(जो भी श्रेष्ठ संघ पीछे हुए हैं और जो आगे होंगे तथा इस समय जो संघ हैं, मैं उन सबकी हमेशा वन्दना करता हूँ)
गुण वन्दना
बुद्धों में सरणं, अञ्ञ नत्थि धम्मो में सरणं, अञ्ञ नत्थि संघों में सरणं, अञ्ञ नत्थि
(बुद्ध, धर्म और संघ ही मेरे शरण है, कोई अन्य नहीं)